BA Semester-5 Paper-1 History - Nationalism in Bharat - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 इतिहास - भारत में राष्ट्रवाद - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 इतिहास - भारत में राष्ट्रवाद

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :128
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2786
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 इतिहास - भारत में राष्ट्रवाद - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- मुस्लिम लीग साम्प्रदायिकता फैलाने के लिए कहाँ तक उत्तरदायी थी? स्पष्ट कीजिए।

अथवा
भारत में मुस्लिम साम्प्रदायिकता के उद्भव व विकास पर एक लेख लिखिए
अथवा
1906 से 1947 तक भारत में मुस्लिम साम्प्रदायिकता के विकास का वर्णन कीजिए। इसके क्या परिणाम हुए? वर्णन कीजिए।
अथवा
राष्ट्र के विभाजन में मुस्लिम लीग की क्या भूमिका थी?

उत्तर -

स्वतंत्रता संग्राम के बाद हमें स्वतन्त्रता तो मिल गई लेकिन साम्प्रदायिकता के जहर के कारण देश विभक्त हो गया भारत में मुस्लिम साम्प्रदायिकता के विकास के लिए निम्नलिखित कारण उत्तरदायी थे जो कि इस प्रकार से हैं

(1) मुस्लिम लीग की स्थापना - मुस्लिम प्रतिनिधिमण्डल के सदस्य 1 अक्टूबर, सन् 1906 ई. को वायसराय लार्ड मिन्टो से मिलने के बाद अपनी सफलता से बहुत उत्साहित हुए। इसके बाद अंग्रेजों ने मुस्लिम नेताओं को मुसलमानों की एक अलग भारतीय संस्था बनाने के लिए प्रेरित किया। इसके परिणामस्वरूप मुस्लिम नेताओं से मिलकर 30 दिसम्बर, सन् 1906 ई. को ढाका में 'अखिल भारतीय मुस्लिम लीग' नामक संस्था की स्थापना की जिसके उद्देश्य निम्नलिखित थे

(i) शासन द्वारा प्रस्तावित प्रस्तावों का, जहाँ तक सम्भव हो, समर्थन करना।

(ii) देश में निवास करने वाले सभी मुसलमानों के हितों का संवर्द्धन व संरक्षण करना।

(iii) अखिल भारतीय कांग्रेस, जिसका मुख्य ध्येय भारत में ब्रिटिश शासन की गलत व्याख्या करना व उसे उखाड़ फेंकना है, के बढ़ते हुए प्रभाव को रोकना।

(iv) शिक्षित मुसलमानों के लिए सार्वजनिक जीवन में योग्यता के अनुसार भाग लेने के माध्यम का निर्माण करना।

(v) उपर्युक्त उद्देश्यों को दृष्टि में रखते हुए जहाँ तक सम्भव हो, अन्य जीवियों से मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध स्थापित करना।

(2) मुस्लिम प्रतिनिधित्व में वृद्धि की माँग - सन् 1908 ई. में मुस्लिम लीग का अधिवेशन अमृतसर में हुआ और सैय्यद अली इमाम इसके अध्यक्ष बने। इस अधिवेशन में लीग ने मुसलमानों को विधान मण्डलों में जनसंख्या से अधिक स्थान दिए जाने की माँग की। सन् 1909 ई. के 'भारतीय शासन अधिनियम' के द्वारा मुसलमानों की माँग को स्वीकार करके पृथक् प्रतिनिधित्व व मुसलमानों को उनकी संख्या के अनुपात से अधिक स्थान दिए गए।

(3) राष्ट्रवादी मुसलमानों से मित्रता - मुस्लिम लीग को सब मुसलमानों का समर्थन प्राप्त नहीं था राष्ट्रवादी मुसलमान इससे पृथक् थे। प्रारम्भ में मौहम्मद अली जिन्ना भी इसके कट्टर विरोधी थे। राष्ट्रीय मुस्लिम नेताओं के दबाव और आक्षेपों ने लीग को भी नीति और सिद्धान्त में परिवर्तन करने पर विवश कर दिया जिससे लींग कांग्रेस के निकट आने लगी।

(4) लीग की लोकप्रियता का प्रयास - अब मुस्लिम लीग जो अपनी लोकप्रियता नष्ट कर चुकी थी जिसकी गणपूर्ति भी नहीं हो पाती थीं, लोकप्रियता प्राप्त करने में जुट गई। मौहम्मद अली जिन्ना कांग्रेस छोड़कर लीग के कर्णधार बन गए। लीग के नेता असहयोग आन्दोलन से स्थगित किए जाने पर सन् 1922 ई. से सन् 1927 ई. तक देश के विभिन्न भागों में हिन्दू-मुस्लिम दंगे भड़काते रहे।

(5) लीग में मतभेद - साइमन कमीशन के प्रश्न पर लीग में मतभेद हो गया था। जिन्ना इसके बहिष्कार के पक्ष में थे और शफी इसके साथ सहयोग करना चाहते थे। अतः लीग के दोनों गुटों ने अलग-अलग अधिवेशन किए।

(6) जिन्ना कां 14 सूत्री कार्यक्रम - सन् 1929 ई. में दिल्ली में लीग का एक अधिवेशन हुआ। जिन्ना कुछ महीने इंग्लैण्ड रहकर वापस आए थे और उन्होंने शफी दल से समझौता कर लिया था। इस दिल्ली अधिवेशन में जिन्ना ने अपना 14 सूत्री कार्यक्रम प्रस्तुत किया। इन शर्तों में साम्प्रदायिक समस्या का कोई समाधान नहीं था, लेकिन इनसे लीग के दोनों गुटों में मेल हो गया।

(7) पाकिस्तान की माँग व कांग्रेस से मतभेद - सन् 1930 ई. में कांग्रेस ने जब 'सविनय अवज्ञा आन्दोलन' प्रारम्भ किया तब लीग उससे अलग रही। उसी वर्ष लीग ने इलाहाबाद अधिवेशन में डॉ. इकबाल ने कहा था - "मैं चाहता हूँ कि पंजाब, सीमा प्रान्त, सिन्ध और बलूचिस्तान को मिलाकर एक राज्य बना दिया जाए।" इंग्लैण्ड में कुछ मुस्लिम छात्रा ही रहमत अली के साथ मुसलमानों के लिए 'पाकिस्तान' के पक्ष में प्रचार कर रहे थे। इस योजना की ओर विद्यार्थियों के मस्तिष्क की अव्यावहारिक उपज और 'मृग मरीचिका योजना' कहकर किसी ने ध्यान नहीं दिया। पाकिस्तान की माँग के कारण ही कांग्रेस व लीग में मतभेद हुआ। पाकिस्तान की माँग को प्रोत्साहन देने वाले निम्नलिखित तत्त्व भी थे जो कि इस प्रकार हैं-

(i) कांग्रेस मंत्रीमण्डलों का निर्माण - सन् 1935 ई. का सुधार कानून देश में लागू किया गया, जिसका कांग्रेस व लीग ने विरोध किया। अन्त में इसके अधीन हो रहे सन् 1937 ई. के विधान सभा चुनावों में दोनों दलों ने भाग लिया। 6 प्रान्तों में कांग्रेस को बहुमत मिला और तीन प्रान्तों में उसके सदस्यों की संख्या अधिक थी। लीग को किसी प्रान्त में बहुमत प्राप्त नहीं था।

जिन्ना द्वारा कांग्रेस के प्रति रोष - कांग्रेस ने संयुक्त मंत्रिमण्डल बनाने का वायदा किया था, लेकिन विजय के बाद कांग्रेस ने स्वयं ही मंत्रिमण्डल गठित करना श्रेष्ठ समझा। इससे जिन्ना बहुत क्रोधित हुए। उन्होंने कहा - "इस्लाम खतरे में हैं, मुसलमान कांग्रेस सरकार की अधीनता में न तो न्याय की आशा कर सकते हैं और न ही सबके साथ समान व्यवहार की।" कांग्रेस के विरुद्ध आधारविहीन प्रचार प्रारम्भ हुए। कांग्रेस ने मुसलमानों को संतुष्ट करने के लिए आवश्यकता से भी अधिक प्रचार किया परन्तु मुसलमानों ने उल्टा कांग्रेस के अत्याचारों और अन्याय को बढ़ा-चढ़ाकर जनता के सामने प्रस्तुत किया धीरे-धीरे जिन्ना ने यह सिद्ध करने का प्रयास शुरू किया कि कांग्रेस केवल एक हिन्दू संगठन है। अतः मुसलमानों के हितों का संरक्षण उसके अधीन नहीं हो सकता। मुसलमानों पर अत्याचारों से सम्बन्धित 'पीरपुर रिपोर्ट' तथा 'शरीफ रिपोर्ट' भी प्रस्तुत की गई। इनमें साम्प्रदायिक भावनाओं को उत्तेजित करने वाली अनेक बातें थी। लीग के नेताओं ने नारा दिया "यदि तुम मुसलमान हो तो मुस्लिम लीग में आओ।" इसी के परिणामस्वरूप सन् 1937-1942 ई. के मध्य 61 उपचुनाव हुए उनमें लींग को 47 स्थान प्राप्त हुए जिन्ना की स्थिति मुस्लिम लीग में उसी प्रकार से हो गई जैसी स्थिति कांग्रेस में गाँधी जी की थी।

(ii) जिन्ना द्वारा मुक्ति दिवस तथा पाकिस्तान की माँग - भारतीयों की बिना सलाह के भारत को सन् 1939 ई. के द्वितीय विश्वयुद्ध में सम्मिलित किए जाने के विरोध में कांग्रेस मंत्रिमण्डलों ने त्याग-पत्रा दे दिए। जिन्ना साहब ने इसे 'मुक्तिदिवस' के रूप में मानने का आदेश दिया। साम्प्रदायिक दंगे भड़काए गए और ऐसी विकट स्थिति में अंग्रेजों ने लीग का साथ दिया। मार्च सन् 1940 ई. में लाहौर में लीग का अधिवेशन हुआ, जिसमें लीग के प्रतिनिधियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। इस अधिवेशन में लीग ने भारत का विभाजन करके अलग पाकिस्तान बनाने का प्रस्ताव पारित किया तथा स्पष्ट रूप से पाकिस्तान की माँग की गई। सन् 1941 ई. में मद्रास अधिवेशन में मि. जिन्ना ने कहा था- "मुस्लिम लीग का उद्देश्य उत्तर-पश्चिमी व पूर्वी प्रदेशों में स्वतंत्रा राज्य की स्थापना करना है। हम किसी भी दशा में ऐसा संविधान स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं जो समस्त भारत के लिए केन्द्रीय सरकार की स्थापना करता है।" उन्होंने यह भी कहा - "पाकिस्तान की स्थापना ही साम्प्रदायिक समस्या का एकमात्रा हल है।"

(iii) द्वि-राष्ट्र का सिद्धान्त - जिन्ना ने जनवरी, सन् 1940 ई. में कहा था - भारत में दो राष्ट्र हैं दोनों को ही अपनी मातृभूमि के शासन में समान रूप से भाग लेना चाहिए।" उन्होंने द्वि-राष्ट्र सिद्धान्त की व्याख्या करते हुए कहा था- "हिन्दू व इस्लाम धर्म शब्दतः धर्म नहीं है वरन् वे दो पृथक्-पृथक् व स्पष्ट सामाजिक एवं सांस्कृतिक व्यवस्थाएँ हैं। यह दिवास्वप्न है कि हिन्दू एवं मुसलमान कभी एक संयुक्त राष्ट्र में रह सकते हैं। राष्ट्र की किसी परिभाषा से देखे, मुसलमानों का एक अलग राष्ट्र है।" अतः अपना प्रदेश एवं राज्य होना चाहिए।

(8) सन् 1940 ई. के बाद लीग की नीति - सन् 1940 ई. अगस्त प्रस्तावों द्वारा मुसलमानों को यह आश्वासन दिया गया कि भारत का भावी संविधान उनकी स्वीति के बिना निश्चित नहीं किया जाएगा। इसके बाद क्रिप्स योजना में अप्रत्यक्ष रूप से भारत के विभाजन का संकेत था। परन्तु इसे भी लीग ने स्वीकार नहीं किया। सन् 1942 ई. के 'भारत छोड़ो आन्दोलन' से मुसलमानों ने अपने को पृथक् रखा। इसके पश्चात् साम्प्रदायिकता की समस्या को हल करने के लिए राज गोपालाचारी ने अपनी एक योजना प्रस्तुत की, जिसे 'राजा जी योजना' कहा जाता है। जिन्ना ने इसे भी अस्वीकार कर दिया और कहा "छायामात्रा, कूड़ा करकट तथा अंगहीन कटा हुआ एक दीमक खाया हुआ पाकिस्तान मुझे स्वीकार नहीं है। यह पाकिस्तान का उपहास है।" इसके बाद संवैधानिक गतिरोध को दूर करने हेतु वेवेल योजना प्रस्तुत की परन्तु लीग की हठधर्मी के कारण यह भी असफल हो गई।

(9) कैबिनेट मिशन द्वारा पाकिस्तान की माँग का विरोध - इंग्लैण्ड में मजदूर दल की सरकार बनने के बाद सन् 1946 ई. में कैबिनेट मिशन भारत आया। इससे लीग और कांग्रेस की वार्ता बहुत समय तक चलती रही। कैबिनेट मिशन योजना में पाकिस्तान की माँग अस्वीकार कर दी गई, लेकिन प्रान्तों के ग्रुपों की ऐसी व्यवस्था की गई थी कि आगे चलकर पाकिस्तान का निर्माण हो सकता था।

(10) लीग द्वारा योजनाओं का विरोध - साम्प्रदायिकता के आधार पर प्रान्तों का वर्गीकरण किया गया तथा केवल रक्षा, विदेश और संचार विभाग दिए गए। लीग को यह योजना भी स्वीकार नहीं थी, क्योंकि इनमें अति शीघ्र पाकिस्तान की माँग पूर्ण नहीं हो रही थी। इसके बाद संविधान सभा के मार्ग में भी लीग ने बाधा डाली व लीग पाकिस्तान की माँग पर अड़ी रही।

(11) लीग द्वारा प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस - 16 अगस्त, सन् 1946 ई. को प्रत्यक्ष कार्यवाही से पाकिस्तान प्राप्त करने की घोषणा करते हुए 'प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस' मनाने की घोषणा जिन्ना साहब ने की। भयंकर दंगों को आरम्भ हुआ। हिन्दुओं पर अनेक प्रकार के अत्याचार किए गए इस दिन कोलकाता और सिलहट में गम्भीर उपद्रव हुए और अकेले कोलकाता में हुए इस नरमेध में लगभग 7,000 व्यक्ति मारे गए। नौआखाली तथा त्रिपुरा में जो अत्याचार व रक्तचाप हुआ, उसने चारों ओर आतंक उत्पन्न कर दिया। बिहार, गढ़मुक्तेश्वर, लाहौर तथा रावलपिण्डी में भीषणं दंगे हुए। मुसलमानों ने हलाकू तथा चंगेजखाँ के दिन फिर से लाने की धमकी दी। अस्थायी सरकार विभाजित थी अतः वह कुछ न कर सकी। अंग्रेजों ने घोषित कर दिया कि जून सन् 1948 ई. तक वे भारत छोड़ देंगे। इसे भी जिन्ना ने अपनी माँगों की स्वी ति समझा।

(12) पाकिस्तान की माँग की स्वीकृति और उसका निर्माण - लीग पाकिस्तान से कम पर किसी अन्य प्रस्ताव को स्वीकार करने के लिये उद्यत नहीं थी। इधर गाँधी जी ने कह दिया था कि पाकिस्तान मेरी लाश पर बनेगा, लेकिन माउण्टबेटन ने अथक् प्रत्यनों से नेहरू और पटेल को पाकिस्तान बनाने के लिए तैयार कर लिया। नेहरू ने कहा था, "हम दर्द से छुटकारा पाने के लिए सर कटाने को तैयार कर लिया।"

माउण्टबेटन योजना के आधार पर देश का विभाजन किया गया, लेकिन जिन्ना को 'कटा-पिटा और दीमक लगा' पाकिस्तान ही मिला। इस योजना को क्रियान्वित करने के लिए ब्रिटिश ससंद ने 18 जुलाई, सन् 1947 ई. को 'भारत स्वतंत्राता अधिनियम पारित किया गया और 15 अगस्त, सन् 1947 ई. को भारत और पाकिस्तान नामक दो देशों का निर्माण करके उन्हें स्वतंत्रा कर दिया। '

पाकिस्तान के निर्माण के उपरान्त भी भारत में यह साम्प्रदायिकता भावना किसी-न-किसी रूप में आज भी विद्यमान है जो यदा-कदा भारतीय राजनीति के पटल पर उभरती रहती

 

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- 1857 के विद्रोह के कारणों की समीक्षा कीजिए।
  2. प्रश्न- 1857 के विद्रोह के स्वरूप पर एक निबन्ध लिखिए। उनके परिणाम क्या रहे?
  3. प्रश्न- सन् 1857 ई. की क्रान्ति के प्रभावों की व्याख्या कीजिए।
  4. प्रश्न- सन् 1857 ई. के विद्रोह का दमन करने में अंग्रेज किस प्रकार सफल हुए, वर्णन कीजिये?
  5. प्रश्न- सन् 1857 ई० की क्रान्ति के परिणामों की विवेचना कीजिये।
  6. प्रश्न- 1857 ई० के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की प्रमुख घटनाओं का वर्णन कीजिए।
  7. प्रश्न- 1857 के विद्रोह की असफलता के क्या कारण थे?
  8. प्रश्न- 1857 के विद्रोह में प्रशासनिक और आर्थिक कारण कहाँ तक उत्तरदायी थे? स्पष्ट कीजिए।
  9. प्रश्न- 1857 ई० के विद्रोह के राजनीतिक एवं सामाजिक कारणों का वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- 1857 के विद्रोह ने राष्ट्रीय एकता को किस प्रकार पुष्ट किया?
  11. प्रश्न- बंगाल में 1857 की क्रान्ति की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- 1857 के विद्रोह के लिए लार्ड डलहौजी कहां तक उत्तरदायी था? स्पष्ट कीजिए।
  13. प्रश्न- सन् 1857 ई. के विद्रोह के राजनीतिक कारण बताइये।
  14. प्रश्न- सन् 1857 ई. की क्रान्ति के किन्हीं तीन आर्थिक कारणों का उल्लेख कीजिये।
  15. प्रश्न- सन् 1857 ई. की क्रान्ति में तात्याटोपे के योगदान का विवेचन कीजिये।
  16. प्रश्न- सन् 1857 ई. के महान विद्रोह में जमींदारों की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
  17. प्रश्न- सन् 1857 ई. के विद्रोह के यथार्थ स्वरूप को संक्षिप्त में बताइये।
  18. प्रश्न- सन् 1857 ई. के झाँसी के विद्रोह का अंग्रेजों ने किस प्रकार दमन किया, वर्णन कीजिये?
  19. प्रश्न- सन् 1857 ई. के विप्लव में नाना साहब की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।
  20. प्रश्न- प्रथम स्वाधीनता संग्राम के परिणामों एवं महत्व पर प्रकाश डालिए।
  21. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रवाद के प्रारम्भिक चरण में जनजातीय विद्रोहों की भूमिका का परीक्षण कीजिए।
  22. प्रश्न- भारत में मध्यम वर्ग के उदय के कारणों पर प्रकाश डालिए। भारतीय राष्ट्रवाद के प्रसार में मध्यम वर्ग की क्या भूमिका रही?
  23. प्रश्न- भारत में कांग्रेस के पूर्ववर्ती संगठनों व इसके कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  24. प्रश्न- भारत में क्रान्तिकारी राष्ट्रवाद के उदय में 'बंगाल विभाजन' की घटना का क्या योगदान रहा? भारत में क्रान्तिकारी आन्दोलन के प्रारम्भिक इतिहास का उल्लेख कीजिए।
  25. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदय की परिस्थितियों पर प्रकाश डालते हुए कांग्रेस की स्थापना के उद्देश्यों की विवेचना कीजिए।
  26. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना के प्रारम्भिक वर्षों में कांग्रेस की नीतियाँ क्या थी? सविस्तार उल्लेख कीजिए।
  27. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उग्रपंथियों के उदय के क्या कारण थे?
  28. प्रश्न- उग्रपंथियों द्वारा किन साधनों को अपनाया गया? सविस्तार समझाइए।
  29. प्रश्न- भारत में मध्यमवर्गीय चेतना के अग्रदूतों में किन महापुरुषों को माना जाता है? इनका भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन व राष्ट्रवाद में क्या योगदान रहा?
  30. प्रश्न- गदर पार्टी आन्दोलन (1915 ई.) पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  31. प्रश्न- कांग्रेस के प्रथम अधिवेशन में कांग्रेस के द्वारा घोषित किये गये उद्देश्यों पर प्रकाश डालिए।
  32. प्रश्न- कांग्रेस सच्चे अर्थों में राष्ट्रीयता का प्रतिनिधित्व करती थी, स्पष्ट कीजिये।
  33. प्रश्न- जनजातियों में ब्रिटिश शासन के प्रति असन्तोष का सर्वप्रमुख कारण क्या था?
  34. प्रश्न- महात्मा गाँधी के प्रमुख विचारों पर प्रकाश डालते हुए उनके भारतीय राजनीति में पदार्पण को 'चम्पारण सत्याग्रह' के विशेष सन्दर्भ में उल्लिखित कीजिए।
  35. प्रश्न- राष्ट्रीय आन्दोलन में महात्मा गाँधी की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  36. प्रश्न- असहयोग आन्दोलन के प्रारम्भ होने प्रमुख कारणों की सविस्तार विवेचना कीजिए।
  37. प्रश्न- 'सविनय अवज्ञा आन्दोलन का प्रारम्भ कब और किस प्रकार हुआ? सविनय अवज्ञा आन्दोलन के कार्यक्रम पर प्रकाश डालिए।
  38. प्रश्न- 'भारत छोड़ो आन्दोलन' के प्रारम्भ होने के प्रमुख कारणों की सविस्तार विवेचना कीजिए।
  39. प्रश्न- राष्ट्रीय आन्दोलन में टैगोर की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  40. प्रश्न- राष्ट्र एवं राष्ट्रवाद पर टैगोर तथा गाँधी जी के विचारों की तुलना कीजिए।
  41. प्रश्न- 1885 से 1905 के की भारतीय राष्ट्रवाद के विकास का पुनरावलोकन कीजिए।
  42. प्रश्न- महात्मा गाँधी द्वारा 'खिलाफत' जैसे धार्मिक आन्दोलन का समर्थन किन आधारों पर किया गया था?
  43. प्रश्न- 'बारडोली सत्याग्रह' पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  44. प्रश्न- गाँधी-इरविन समझौता (1931 ई.) पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  45. प्रश्न- 'खेड़ा सत्याग्रह' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  46. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदारपंथी चरण के विषय में बताते हुए उदारवादियों की प्रमुख नीतियों का उल्लेख कीजिये।
  47. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदारपंथी चरण की सफलताओं एवं असफलताओं का उल्लेख कीजिए।
  48. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उग्रपंथियों के उदय के क्या कारण थे?
  49. प्रश्न- उग्रपंथियों द्वारा पूर्ण स्वराज्य के लिए किन साधनों को अपनाया गया? सविस्तार समझाइए।
  50. प्रश्न- उग्रवादी तथा उदारवादी विचारधारा में अंतर बताइए।
  51. प्रश्न- बाल -गंगाधर तिलक के स्वराज और राज्य संबंधी विचारों का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- प्रारम्भ में कांग्रेस के क्या उद्देश्य थे? इसकी प्रारम्भिक नीति को उदारवादी नीति क्यों कहा जाता है? इसका परित्याग करके उग्र राष्ट्रवाद की नीति क्यों अपनायी गयी?
  53. प्रश्न- उदारवादी युग में कांग्रेस के प्रति सरकार का दृष्टिकोण क्या था?
  54. प्रश्न- भारत में लॉर्ड कर्जन की प्रतिक्रियावादी नीतियों ने किस प्रकार उग्रपंथी आन्दोलन के उदय व विकास को प्रेरित किया?
  55. प्रश्न- उदारवादियों की सीमाएँ एवं दुर्बलताएँ संक्षेप में लिखिए।
  56. प्रश्न- उग्रवादी आन्दोलन का मूल्यांकन कीजिए।
  57. प्रश्न- भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के 'नरमपन्थियों' और 'गरमपन्थियों' में अन्तर लिखिए।
  58. प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन पर विस्तृत विवेचना कीजिए।
  59. प्रश्न- कांग्रेस के सूरत विभाजन पर प्रकाश डालिए।
  60. प्रश्न- अखिल भारतीय काँग्रेस (1907 ई.) में 'सूरत की फूट' के कारणों एवं परिस्थितियों का विवरण दीजिए।
  61. प्रश्न- कांग्रेस में 'सूरत फूट' की घटना पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  62. प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  63. प्रश्न- कांग्रेस की स्थापना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  64. प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  65. प्रश्न- स्वदेशी विचार के विकास का वर्णन कीजिए।
  66. प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
  67. प्रश्न- स्वराज्य पार्टी की स्थापना किन कारणों से हुई?
  68. प्रश्न- स्वराज्य पार्टी के पतन के प्रमुख कारणों को बताइए।
  69. प्रश्न- कांग्रेस के प्रथम अधिवेशन में कांग्रेस के द्वारा घोषित किये गये उद्देश्यों पर प्रकाश डालिए।
  70. प्रश्न- कांग्रेस सच्चे अर्थों में राष्ट्रीयता का प्रतिनिधित्व करती थी, स्पष्ट कीजिये।
  71. प्रश्न- दाण्डी यात्रा का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  72. प्रश्न- मुस्लिम लीग की स्थापना एवं नीतियों पर प्रकाश डालिए।
  73. प्रश्न- मुस्लिम लीग साम्प्रदायिकता फैलाने के लिए कहाँ तक उत्तरदायी थी? स्पष्ट कीजिए।
  74. प्रश्न- साम्प्रदायिक राजनीति के उत्पत्ति में ब्रिट्रिश एवं मुस्लिम लीग की भूमिका की विवेचना कीजिये।
  75. प्रश्न- मुहम्मद अली जिन्ना द्वारा मुस्लिम लीग को किस प्रकार संगठित किया गया?
  76. प्रश्न- लाहौर प्रस्ताव' क्या था? भारत के विभाजन में इसकी क्या भूमिका रही?
  77. प्रश्न- मुहम्मद अली जिन्ना ने किस प्रकार भारत विभाजन की पृष्ठभूमि तैयार की?
  78. प्रश्न- मुस्लिम लीग के उद्देश्य बताइये। इसका भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम पर क्या प्रभाव पड़ा?
  79. प्रश्न- मुहम्मद अली जिन्ना के राजनीतिक विचारों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  80. प्रश्न- मुस्लिम लीग तथा हिन्दू महासभा जैसे राजनैतिक दलों ने खिलाफत आन्दोलन का विरोध क्यों किया था?
  81. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध के क्या कारण थे?
  82. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध के क्या परिणाम हुए?
  83. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन पर प्रथम विश्व युद्ध का क्या प्रभाव पड़ा, संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
  84. प्रश्न- प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान उत्पन्न हुए होमरूल आन्दोलन पर प्रकाश डालिए। इसकी क्या उपलब्धियाँ रहीं?
  85. प्रश्न- गाँधी जी ने असहयोग आन्दोलन क्यों प्रारम्भ किया? वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- लखनऊ समझौते के विषय में आप क्या जानते हैं? विस्तृत विवेचन कीजिए।
  87. प्रश्न- प्रथम विश्वयुद्ध का उत्तरदायित्व किस देश का था?
  88. प्रश्न- प्रथम विश्वयुद्ध में रोमानिया का क्या योगदान था?
  89. प्रश्न- 'लखनऊ समझौता, पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  90. प्रश्न- 'रॉलेक्ट एक्ट' पर संक्षित टिपणी कीजिए।
  91. प्रश्न- राष्ट्रीय जागृति के क्या कारण थे?
  92. प्रश्न- होमरूल आन्दोलन पर संक्षित टिपणी दीजिए।
  93. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रवादी और प्रथम विश्वयुद्ध पर संक्षित टिपणी लिखिए।
  94. प्रश्न- अमेरिका के प्रथम विश्व युद्ध में शामिल होने के कारणों की व्याख्या कीजिए।
  95. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध के बाद की गई किसी एक शान्ति सन्धि का विवरण दीजिए।
  96. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध का पराजित होने वाले देशों पर क्या प्रभाव पड़ा?
  97. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध का उत्तरदायित्व किस देश का था? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  98. प्रश्न- गदर पार्टी आन्दोलन (1915 ई.) पर संक्षित प्रकाश डालिए।
  99. प्रश्न- 1919 का रौलट अधिनियम क्या था?
  100. प्रश्न- असहयोग आन्दोलन के सिद्धान्त, कार्यक्रमों का संक्षित वर्णन कीजिए।
  101. प्रश्न- श्रीमती ऐनी बेसेन्ट के कार्यों का मूल्यांकन व महत्व समझाइये |
  102. प्रश्न- थियोसोफिकल सोसायटी का उद्देश्य बताइये।

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